हिन्दी पंचांग कैलेंडर
॥ श्री सत्यनारायण भगवान की कथा ॥
हिन्दी

श्री सत्यनारायण जी की आरती -
जय श्री लक्ष्मी रमणा स्वामी जय लक्ष्मी रमणा |
सत्यनारायण स्वामी जन पातक हरणा || जय

रत्त्न जड़ित सिंहासन अदूभुत छवि राजै |
नाद करद निरन्तर घण्टा ध्वनि बाजै || जय

प्रकट भये कलि कारण द्विज को दर्श दियो |
बूढ़ा ब्राह्मण बन के कंचन महल कियो || जय

दुर्बल भील कराल जिन पर कृपा करी |
चन्द्रचूढ़ इक राजा तिनकी विपत हरी || जय

वैश्य मनोरथ पायो श्रद्धा तज दीनी |
सो फल भोग्यो प्रभु जी फेर स्तुति कीन्ही || जय

भाव भक्ति के कारण छिन – छिन रूप धरयो |
श्रद्धा धारण कीनी जन को काज सरयो || जय

ग्वाल बाल संग राजा बन में भक्ति करी |
मनवांछित फल दीना दीनदयाल हरी || जय

चढ़त प्रसाद सवाया कदली फल मेवा |
धूप दीप तुलसी से राजी सत्य देवा || जय

श्री सत्यनारायण जी की आरती जो कोई नर गावै |
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावै || जय

उद्देश्य -
पूरी सत्यनारायण व्रत कथा का निहितार्थ यह है कि लौकिक एवं परलौकिक हितों की साधना के लिए मनुष्य को सत्याचरण का व्रत लेना चाहिए। सत्य ही, भगवान है। सत्य ही विष्णु है। लोक में सारी बुराइयों, सारे क्लेशों, सारे संघर्षो का मूल कारण है सत्याचरण का अभाव। सत्यनारायण व्रत कथा पुस्तिका में इस संबंध में श्लोक इस प्रकार है :

यत्कृत्वासर्वदु:खेभ्योमुक्तोभवतिमानव:।
विशेषत:कलियुगेसत्यपूजाफलप्रदा।
केचित् कालंवदिष्यन्तिसत्यमीशंतमेवच।
सत्यनारायणंकेचित् सत्यदेवंतथाऽपरे।
नाना रूपधरोभूत्वासर्वेषामीप्सितप्रद:।
भविष्यतिकलौविष्णु: सत्यरूपीसनातन:।

अर्थात् सत्यनारायण व्रत का अनुष्ठान करके मनुष्य सभी दु:खों से मुक्त हो जाता है। कलिकाल में सत्य की पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है। सत्य के अनेक नाम हैं, यथा-सत्यनारायण, सत्यदेव। सनातन सत्यरूपीविष्णु भगवान कलियुग में अनेक रूप धारण करके लोगों को मनोवांछित फल देंगे।

।। इति श्री सत्यनारायण व्रत कथा संपूर्ण।।

श्रीमन्न नारायण-नारायण-नारायण ।
भज मन नारायण-नारायण-नारायण ।
श्री सत्यनारायण भगवान की जय ।।